
भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम, जिसे दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ता हुआ माना जाता है, वर्तमान में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। पिछले दो वर्षों (2023 और 2024) में, 28,638 स्टार्टअप्स ने अपने संचालन को बंद कर दिया है — यह संख्या 2019 से 2022 के बीच बंद हुए लगभग 2,300 स्टार्टअप्स की तुलना में 12 गुना अधिक है।
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2022 में स्टार्टअप में उछाल
डीपीआईआईटी (DPIIT) के अनुसार 2022 तक, भारत में लगभग 86,713 स्टार्टअप्स पंजीकृत हुए थे, जो 2016 में 471 के तुलना में एक उल्लेखनीय वृद्धि थी। इस तेजी से वृद्धि के साथ, यह भी अपेक्षित था कि सभी स्टार्टअप्स सफल नहीं होंगे। स्टार्टअप्स inherently जोखिम भरे होते हैं, और उनका बंद होना नवाचार की प्रक्रिया का एक हिस्सा है।
यह उछाल 2021 में आए निवेश में बूम के कारण हुआ था, उस समय स्टार्टअप सेक्टर ने रिकॉर्ड 64 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया था।
28,000 स्टार्टअप्स का बंद होना — जितना बड़ा दिखता है — कुल इकोसिस्टम की तुलना में काफी कम है। “अगर आप बंद होने की दर को देखें, तो यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं है क्योंकि इतने सारे स्टार्टअप्स शुरू भी हुए थे।” दरअसल, इतनी बड़ी संख्या में बंद होने की घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि उस वक्त कितनी ज्यादा कंपनियां बाजार में उतरी थीं। इसे ऐसे भी देखना जरुरी है कि उस समय कितने “Passion” में स्टार्टअप शुरू हुए थे और कितने “Fashion” में |
महामारी के बाद का प्रभाव: फंडिंग बूम से फंडिंग विंटर तक
एडूटेक, हेल्थटेक और फिनटेक जैसे सेक्टर्स को महामारी के दौरान जबरदस्त फंडिंग मिली थी। निवेशक और स्टार्टअप संस्थापक का मानना था कि इन सेक्टर्स में लॉकडाउन और वर्क-फ्रॉम-होम जैसी नई जीवनशैली से बड़ा फायदा मिलेगा। लेकिन महामारी के बाद जैसे ही हालात सामान्य हुए, इन सेक्टर्स की कई कंपनियों की मांग अचानक घट गई जिससे बहुत नुकसान का सामना करना पड़ा |
निवेशकों के लिए नहीं, ग्राहकों के लिए बनाए गए स्टार्टअप
विशेषज्ञों का मानना है कि 2021 में भारी निवेश के कारण कई संस्थापक असली ग्राहकों के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ निवेशकों को खुश करने के लिए स्टार्टअप बना रहे थे। विशेषज्ञ ने बताया कि “जब इतना सारा पैसा मार्केट में बह रहा था, तो कई स्टार्टअप्स ने असल समस्या हल करने की बजाय सिर्फ निवेशकों के लिए प्रोडक्ट बनाए।” जब फंडिंग का ये उफान उतरा, तो असली समस्या हल न करने वाली कंपनियों का पर्दाफाश हो गया।
फंडिंग विंटर खत्म हुआ या नहीं?
हाल के महीनों में कई निवेशको का कहना है कि “फंडिंग विंटर” यानी निवेश की ठंडी लहर अब खत्म हो रही है। लेकिन ये दिख रहा है कि स्टार्टअप इकोसिस्टम एक नेचुरल क्लीनअप से गुजर रहा है। अब निवेशक केवल उन्हीं कंपनियों को फंड कर रहे हैं, जिनके पास असली ग्राहक, ग्राहक के अनुसार प्रोडक्ट और एक अच्छा बिज़नेस मॉडल है ।
वैसे यह बदलाव स्वागत योग्य है। यह दिखाता है कि अब हाइप के पीछे भागने की बजाय, निवेशक असल सॉल्यूशंस और सस्टेनेबल ग्रोथ पर भरोसा कर रहे हैं।
नई लहर: समझदारी और मौके
दिलचस्प बात यह है कि महामारी के समय हुए गलत फैसलों से निवेशक और संस्थापक अब सबक ले रहे हैं। उदाहरण के लिए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सेक्टर में भी शुरू में बहुत ज्यादा उत्साह दिखा, लेकिन अब निवेशक और स्टार्टअप संस्थापक ज्यादा व्यावहारिक और मजबूत योजनाओं के साथ आ रहे हैं।
कुल मिलाकर, भले ही 28,000 स्टार्टअप्स के बंद होने की खबरें चिंता बढ़ाती हों, ये भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास का हिस्सा हैं। यह इकोसिस्टम ख़त्म नहीं हो रहा, बल्कि और मजबूत, समझदार और ग्राहक-केंद्रित बन रहा है।
