World Environment Day 2025

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक आह्वान है – अपने धरती माता की रक्षा करने का, प्रकृति के साथ फिर से जुड़ने का। इस दिन, लोग पौधरोपण करते हैं, स्वच्छता अभियान चलाते हैं, और पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लेते हैं।

लेकिन क्या सिर्फ एक दिन काफी है?
क्या हम केवल प्रतीकात्मक कार्यों से पृथ्वी को बचा सकते हैं?

🌱 पर्यावरण: जीवन का आधार

हमारा पर्यावरण – हवा, पानी, पेड़, नदियाँ, जीव-जंतु – हमारे अस्तित्व की नींव हैं। यही हमें ऑक्सीजन देता है, भोजन देता है, मौसम को संतुलित रखता है और जैव विविधता को समृद्ध करता है। लेकिन आज हम उसी पर्यावरण का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं।

  • वनों की अंधाधुंध कटाई
  • जलस्रोतों का प्रदूषण
  • बढ़ता प्लास्टिक उपयोग
  • वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन

वर्तमान स्थिति: चेतावनी की घंटी

आज, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, प्लास्टिक प्रदूषण, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और जलवायु परिवर्तन ने हमारी धरती को संकट में डाल दिया है। वनों की कटाई और कार्बन उत्सर्जन के कारण तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे:

  • 🌡️ ग्लोबल वॉर्मिंग
  • 🌪️ असामान्य मौसम परिवर्तन
  • 💧 जल संकट
  • 🦋 जैव विविधता का नुकसान
  • 🏞️ प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती घटनाएं

पर्यावरण दोहन के कुछ प्रमुख Use Cases:

कृषि में अत्यधिक रसायनों का उपयोग
➤ मिट्टी की गुणवत्ता कम हो रही है और जलस्रोत प्रदूषित हो रहे हैं।

प्लास्टिक का अनियंत्रित उपयोग
➤ समुद्रों में प्लास्टिक के कारण समुद्री जीवन संकट में है।

अवैध खनन और वनों की कटाई
➤ प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं और जानवरों की प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं।

वाहनों और उद्योगों से उत्सर्जन
➤ वायु गुणवत्ता घट रही है, जिससे लोगों को सांस संबंधी बीमारियाँ हो रही हैं।

क्या कर सकते हैं हम?

पर्यावरण की रक्षा केवल सरकारों की ज़िम्मेदारी नहीं है, यह हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। हम छोटे-छोटे कदमों से बड़ा बदलाव ला सकते हैं:

✅ रोज़मर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक का प्रयोग कम करें
✅ जल और बिजली की बचत करें
✅ अधिक से अधिक पेड़ लगाएं
✅ कचरे का पृथक्करण करें
✅ स्थानीय और जैविक उत्पादों को प्राथमिकता दें
✅ बच्चों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाएं

इस वर्ष की थीम (2025):

“Land Restoration, Desertification and Drought Resilience”
अर्थात “भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण रोकथाम और सूखा सहनशीलता”।

यह विषय हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि धरती को बचाना ही इंसानियत को बचाना है

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