
भारत में स्टार्टअप कल्चर तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन एक अच्छा आइडिया तभी सफल हो होता है जब उसके पीछे मजबूत फंडिंग सपोर्ट हो। स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए अलग-अलग चरणों में पूंजी की जरूरत होती है, जिसे हम स्टार्टअप फंडिंग स्टेज कहते हैं।
आइये जानते है कैसे, एक स्टार्टअप शून्य से शुरू होकर करोड़ों-अरबों की वैल्यूएशन तक का सफ़र तय करता है।
1. बूटस्ट्रैपिंग (Bootstrapping) या स्व-वित्तपोषण
जब स्टार्टअप को-फाउंडर अपने स्टार्टअप की शुरुआत अपनी बचत, दोस्तों या परिवार की मद्द से करता है, तो इसे बूटस्ट्रैपिंग कहा जाता है। शुरुवात में बूटस्ट्रैप या सरकारी ग्रांट लेकर स्टार्टअप की शुरुआत करना अच्छा माना जाता है | बूटस्ट्रैप या सरकारी ग्रांट की मद्द से अपने आईडिया को वैलिडेट करना या प्रूफ ऑफ कांसेप्ट बनाना बेहतर होता है |
शुरुवाती स्टेज मतलब आईडिया स्टेज में निवेशकों का मिलना बहुत कठिन होता है क्योंकि रिस्क बहुत होता है, यदि कोई निवेशक मिलता भी है तो कंपनी की इक्विटी ज्यादा देनी पड़ती है जिससे आगे एक्सपेंशन के रास्ते मुस्किल होते हैं | इसलिए शुरुवात में बूटस्ट्रैप या सरकारी ग्रांट अच्छा निर्णय होता है |
✅ फायदे:
- निवेशकों की कोई दखल नहीं
- निर्णय लेने की पूरी स्वतंत्रता
❌ चुनौतियाँ:
- सीमित फंडिंग
- रिस्क पूरी तरह से फाउंडर का होता है
यह स्टेज छोटे स्तर पर आईडिया वैलिडेट करना या प्रूफ ऑफ कांसेप्ट तैयार करने के लिए उपयुक्त होता है।

2. प्रोटोटाइप ग्रांट (Prototype Grant)
इस स्टेज में अपने आईडिया का प्रोटोटाइप या MVP तैयार करना होता है, जिसे हम मार्केट में टेस्ट करते हैं कि प्रोडक्ट मार्केट फिट है या नहीं | प्रोटोटाइप तैयार करने के लिए सरकार की कई ग्रांट है जो प्रोटोटाइप तैयार करने के लिए सहायता प्रदान करती है, जैसे राज्य सरकार की योजनाएं, निधि प्रयास स्कीम आदि |
🧠 प्रमुख स्रोत:
- भारत सरकार जैसे DST, Meity, STPI आदि
- राज्य सरकार की स्टार्टअप संबंधी योजनाएं
✅ फायदे:
- स्टार्टअप की वैल्यूएशन बढ़ जाती है
- प्रोडक्ट/सर्विस का प्रोटोटाइप तैयार हो जाने पर निवेश का रास्ता आसान हो जाता है
3. सीड फंडिंग (Seed Funding)
सीड फंडिंग स्टार्टअप को MVP डेवलप करने तथा प्रोडक्ट/सर्विस को मार्केट में लांच करने के लिए होता है | सीड फंडिंग के लिए भी सरकार की कई योजनायें है तथा एंजेल इन्वेस्टर या वेंचर कैपिटलिस्ट भी सीड फंडिंग करते हैं |
इस स्टेज पर आमतौर पर प्रोडक्ट डेवलपमेंट, टीम बिल्डिंग और मार्केट रिसर्च होती है।
🧠 प्रमुख स्रोत:
- भारत सरकार की योजनाएं जैसे Startup India Seed Fund Scheme, Meity, STPI आदि
- राज्य सरकार की स्टार्टअप संबंधी योजनाएं
- इन्क्यूबेशन सेंटर्स
- Angel Investors
- VC Firms (Venture Capitalist)
Seed funding से ही स्टार्टअप के असली सफर की शुरुआत होती है।
4. एंजेल फंडिंग (Angel Investment)
एंजेल इन्वेस्टर्स वे अनुभवी उद्यमी या निवेशक होते हैं जो शुरुआती स्टार्टअप में रिस्क लेकर निवेश करते हैं। ये निवेशक सिर्फ पैसा ही नहीं बल्कि गाइडेंस और नेटवर्किंग सपोर्ट भी देते हैं, लेकिन इनके इन्वेस्ट करने की लिमिट 25 लाख से लेकर 05 करोड़ तक होती है |
🧑💼 उदाहरण: TVF के शुरुआती निवेशकों में एंजेल इन्वेस्टर्स शामिल थे, शार्क टैंक के शार्क
5. वेंचर कैपिटल फंडिंग (VC Funding)
जब स्टार्टअप को स्केल करना होता है, तो बड़े फण्ड की जरुरत होती है | बड़ा फण्ड वेंचर कैपिटल फर्म प्रोवाइड करते हैं | यह फंडिंग कई राउंड्स में होती है:
A. Series A Funding
B. Series B Funding
C. Series C, D
🏦 प्रमुख वेंचर कैपिटल फर्म्स:
- Sequoia Capital India (Now Peak XV Partners)
- Accel
- Blume Ventures
- Kalaari Capital etc.
6. IPO (Initial Public Offering)
जब स्टार्टअप बड़ा ब्रांड बन जाता है और पब्लिक से पूंजी जुटाना चाहता है, तो वह शेयर बाजार में उतरता है।
📈 IPO के ज़रिए कंपनी अपने शेयर्स आम जनता को बेचती है।
✅ फायदे:
- बड़े पैमाने पर पूंजी जुटाना
- ब्रांड वैल्यू और पारदर्शिता में वृद्धि
उदाहरण: Zomato, Paytm, Nykaa ने IPO लॉन्च किया है।
एक स्टार्टअप का सफर सिर्फ एक आइडिया से शुरू होता है, लेकिन उसे एक सफल कंपनी बनाने के लिए कई चरणों में फंडिंग और रणनीतिक निर्णय लेने होते हैं। सही समय पर सही फंडिंग स्टेज को समझना हर उद्यमी के लिए बेहद जरूरी है।
आपको क्या करना चाहिए?
- अपना बिज़नेस प्लान और पिच डेक तैयार रखें
- सरकार की योजनाओं (Startup India, Seed Fund) की जानकारी रखें
- इनक्यूबेटर से जुड़ें
- सही मेंटर और सलाहकार तलाशें