November 22, 2025
जनसहयोग यात्रा, अहमदाबाद

“जन सहयोग यात्रा – अहमदाबाद” का उद्देश्य केवल एक भ्रमण नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक और आर्थिक सीख रही। इस यात्रा के सूत्रधार रहे डॉ. हीरा लाल (IAS) — जो अपनी जनकल्याणकारी सोच और नवाचारपूर्ण कार्यों के लिए जाने जाते हैं।
उनके मार्गदर्शन में यह यात्रा न केवल सफलतापूर्वक संपन्न हुई, बल्कि प्रतिभागियों के विचारों में भी एक नई ऊर्जा और दृष्टिकोण का संचार हुआ। आपको बता दें कि यह यात्रा 11 से 13 अक्टूबर 2025 तक रही और इस यात्रा के दौरान K P भवन, दुग्ध प्लांट, मेहसाना के गाँव, उमिया माता धाम ऊंझा, आई आई एम अहमदाबाद, स्टेचू ऑफ़ यूनिटी, सरदार गृह, साबरमती आश्रम, धरती विकास मंडल आदि का विजिट सम्पन्न हुआ |

इस यात्रा का प्रमुख लक्ष्य था —
👉 गुजरात के व्यवसायिक और सहकारी मॉडल को नज़दीक से समझना,
👉 साझा प्रयासों से विकास की संस्कृति को बढ़ावा देना, और
👉 समाज के लोगों को आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित करना।

इस प्रथम यात्रा में प्रदेश से 27 प्रतिनिधियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और गुजरात की समृद्ध सोच, संगठनात्मक क्षमता और सामूहिक विकास के सूत्र को अनुभव किया।

पहला दिन – शिक्षा और संगठन के माध्यम से सशक्त समाज

यात्रा की शुरुआत अहमदाबाद के प्रसिद्ध K P विद्यार्थी भवन से हुई। यह संस्था गुजरात के पाटीदार समाज द्वारा स्थापित एक आदर्श मॉडल है, जहाँ समाज ने अपने बच्चों की शिक्षा और भविष्य को सर्वोपरि रखा है।

यहाँ छात्रों को विश्वस्तरीय, आवासीय सुविधा और अनुशासनयुक्त वातावरण प्रदान कर रहा है।
भवन के ट्रस्टीज़ के साथ हुई बैठक में यह चर्चा हुई कि अगर समाज के हर वर्ग में शिक्षा के प्रति ऐसी सामूहिक जिम्मेदारी विकसित हो जाए, तो राष्ट्र की प्रगति निश्चित है।

यहाँ के हॉस्टल रूम, किचन और प्रशासनिक व्यवस्था से व्यवस्थित प्रबंधन और पारदर्शिता का एक उत्कृष्ट उदाहरण देखा गया।

मेहसाणा गाँव – सहकारिता से सफलता की मिसाल

इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने मेहसाणा गाँव का दौरा किया — जो अमूल की तरह ही गुजरात की सहकारी सफलता का एक मजबूत उदाहरण है।
यहाँ प्रतिभागियों ने जाना कि कैसे गांव के किसानों और दूध उत्पादकों ने मिलकर एक सशक्त डेयरी यूनियन बनाई, जो न केवल उत्पादक को उचित मूल्य देती है बल्कि पूरे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करती है।

मेहसाणा मॉडल की सबसे बड़ी खूबी है — “न्यायपूर्ण लाभ वितरण”
हर सदस्य अपने उत्पादन के अनुसार लाभ का हिस्सा पाता है और निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी रखता है। यह मॉडल भारत के अन्य राज्यों के लिए भी सीखने योग्य है।

उंझा – सहकारी समितियों और नवाचार की धरती

अगला पड़ाव था उंझा, जो भारत में मसाला व्यापार और सहकारी समितियों का केंद्र माना जाता है।
यहाँ प्रतिभागियों ने स्थानीय कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और जाना कि कैसे ग्रामीण क्षेत्र के लोग आपसी विश्वास और पारदर्शिता के साथ व्यवसाय को चला रहे हैं।

यहाँ की सोसाइटीज़ न केवल खेती और व्यापार करते हैं बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण के लिए भी योजनाएँ चलाते हैं।
उंझा की एक सोसाइटी ने बताया कि उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसानों को सीधे खरीदारों से जोड़ दिया है, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई और किसानों की आमदनी में भी वृद्धि हुई।

यहां की बैठक के दौरान प्रतिभागियों ने महसूस किया कि “सहयोग, पारदर्शिता और नवाचार” – यही वो तीन स्तंभ हैं जिन पर गुजरात का ग्राम्य विकास खड़ा है।

दिन के अंत में उंझा स्थित उमिया माता मंदिर में सभी ने माता के दर्शन किए और यात्रा की सफलता व समाज की समृद्धि की कामना की।

दूसरा दिन – इतिहास, एकता और विकास का संगम

दूसरे दिन की शुरुआत सरदार वल्लभभाई पटेल म्यूज़ियम और करमसद स्थित उनके पैतृक निवास से हुई। सदस्यों ने लौहपुरुष के जीवन से प्रेरणा ली कि कैसे दृढ़ इच्छाशक्ति और नेतृत्व से देश को एकता के सूत्र में पिरोया गया।

इसके बाद सभी नर्मदा ज़िले पहुँचे और भारत की शान Statue of Unity, फ्लावर वैली और जंगल सफारी का भ्रमण किया।
यहाँ प्रतिभागियों ने देखा कि कैसे पर्यटन और स्थानीय रोजगार को जोड़कर एक सतत विकास मॉडल तैयार किया गया है — जहाँ प्रकृति, संस्कृति और अर्थव्यवस्था साथ चलते हैं।

तीसरा दिन – ज्ञान, नवाचार और उद्यमिता का संगम

यात्रा के अंतिम दिन की शुरुआत अटल ब्रिज और आईआईएम अहमदाबाद से हुई।
यहाँ प्रो संजय वर्मा के साथ हुई चर्चा में प्रतिभागियों ने भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम, मैनेजमेंट मॉडल और नवाचार आधारित अर्थव्यवस्था पर गहन विचार-विमर्श किया। इस दौरान अभिषेक मिश्रा और कृष्णा ने आईआईएम अहमदाबाद का भ्रमण कराया और आईआईएम से जुड़ें तथ्य साझा किये |

इसके बाद दल ने धरती विकास मंडल का दौरा किया — जो ग्रामीण विकास का एक जीवंत उदाहरण है। यह संगठन किसानों, युवाओं और महिला उद्यमियों को एक मंच पर लाकर उन्हें व्यवसायिक प्रशिक्षण, मार्केट लिंकिंग और सहयोगी पूंजी तंत्र से जोड़ता है।

दिन का अंतिम पड़ाव था अहमदाबाद के व्यवसायी श्री सतीश भाई पटेल से मुलाकात, जिन्होंने अपने अनुभव साझा किए कि सफल व्यवसाय के लिए केवल पूंजी नहीं, बल्कि दृष्टिकोण, नैतिकता और नेटवर्किंग की भी उतनी ही आवश्यकता होती है। इस संपूर्ण यात्रा के दौरान सतीश भाई पटेल, सुरेश पटेल और जी बी भाई पटेल का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ |

अंत में प्रतिनिधिमंडल साबरमती आश्रम पहुँचा — जहाँ सभी ने महात्मा गांधी के जीवन, सिद्धांतों और उनके सहयोग आधारित समाज के दृष्टिकोण को समझा।
सभी ने गांधी साहित्य खरीदा और उनके विचारों को अपने जीवन और कार्य में अपनाने का संकल्प लिया।

जन सहयोग यात्रा ने यह स्पष्ट किया कि विकास केवल पूंजी का परिणाम नहीं, बल्कि सामूहिक सोच और सहयोग की संस्कृति का फल है।
गुजरात के मॉडल से यह सीख मिली कि जब समाज, प्रशासन, व्यवसायी और नागरिक एक दिशा में मिलकर काम करते हैं, तो न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक समृद्धि भी सुनिश्चित होती है।

यह यात्रा एक नई सोच की शुरुआत है —
“व्यवसाय में समाज और समाज में व्यवसाय” — यही स्थायी विकास की राह है।

बिजनेस को आगे कैसे बढ़ाएं ? आइये जानते हैं

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