Birthday celebration

आज के समय में जहाँ अधिकतर लोग जन्मदिन पर भव्य पार्टी का आयोजन करते हैं, वहीँ उत्तर प्रदेश, अम्बेडकर नगर जिले के एक छोटे से गांव हासिमगढ़ के निवासी संदीप पटेल, अपने बेटे के जन्मदिन को एक प्रेरणादायक मिशन में बदल रहे हैं |

21 जुलाई को उन्होंने अपने बेटे के दूसरे जन्मदिन पर अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय के बच्चो को कस्टमाइज्ड स्टेशनरी किट वितरित की | इसके साथ साथ उन्होंने पौधरोपण कर बच्चो को पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया |

क्या खास था इस पहल में ?

  • इस पहल में स्कूल के बच्चो (लगभग 110) को 5 कापियां, कलर बुक, कलर, पेंसिल, और अन्य सामग्री वितरित किये गए |
  • इस पहल में आंगनबाड़ी से लेकर कक्षा 5 तक के सभी बच्चों को इस पहल में शामिल किया गया।
  • स्कूल के शिक्षकों और प्रधानाचार्य ने इस प्रयास की दिल से सराहना की।
  • ग्राम सभा के प्रधान श्री रंजय वर्मा और गांव के अन्य बुजुर्गों ने इस नेक कार्य की तारीफ की और इसे दूसरों के लिए उदाहरण बताया।

क्यों खास है यह पहल?

इस पहल की शुरुवात साल 2024 में हुई थी, जब संदीप पटेल ने अपने बेटे देव आदित्य पटेल के प्रथम जन्मदिन पर वृक्षारोपण और स्टेशनरी किट वितरण करके की थी | यह परंपरा अब एक आन्दोलन का रूप ले रही है | उनका मानना है कि ” शिक्षा ही समाज को सशक्त कर सकती है और पर्यावरण उसका रक्षक है | “

इसलिए वे बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि जगाने के साथ-साथ, पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव भी पैदा कर रहे हैं।

बच्चो को मिला मोटिवेशन

सिर्फ स्टेशनरी किट ही नहीं, सन्दीप पटेल ने बच्चों को शिक्षा का महत्व भी समझाया। उन्होंने बच्चों से बातचीत की, उन्हें आत्मविश्वास और सपनों को लेकर प्रेरित किया।

“अगर आप पढ़ोगे, तो आगे बढ़ोगे”, इस संदेश के साथ उन्होंने बच्चों में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया।

कौन हैं संदीप पटेल ?

संदीप पटेल हासिमगढ़ के निवासी हैं और अपनी प्रारंभिक शिक्षा यही पूरी करने के बाद इंजीनियरिंग की और अभी लखनऊ के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज आईईटी लखनऊ में इन्क्यूबेशन मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं | उन्होंने अपने बच्चे के प्रथम जन्मदिन पर इस प्रयास की शुरुवात की, जिसे इस वर्ष भी जारी रखा |

गांव में बढ़ रही है जागरूकता

इस पहल के बाद गांव में चर्चा है कि ऐसे सामाजिक कार्य ही समाज को बदल सकते हैं। गांव के अन्य युवाओं और अभिभावकों को भी यह प्रेरणा मिल रही है कि वे भी अपने बच्चों के जन्मदिन या अन्य अवसरों पर इस तरह के सामाजिक और शैक्षिक कार्य करें।

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