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नोएडा के आनंद निकेतन वृद्ध आश्रम में बुजुर्गों की दुर्दशा: मल मूत्र से सने मिले कपड़े

नर्क से भी बदतर नोएडा का ये वृद्धाश्रम

नोएडा, उत्तर प्रदेश का एक ऐसा शहर जो आधुनिकता और तरक्की का प्रतीक माना जाता है, वहां हाल ही में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। सेक्टर-55 में स्थित आनंद निकेतन वृद्ध सेवा आश्रम, जो बुजुर्गों को सहारा देने का दावा करता था, वहां की स्थिति नर्क से भी बदतर पाई गई। इस वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार किया जा रहा था कि सुनकर किसी का भी दिल दहल जाए। रस्सियों से बंधे हाथ-पैर, तहखाने जैसे अंधेरे कमरों में कैद, मल-मूत्र से सने कपड़े और बिना कपड़ों के बुजुर्ग—यह सब उस जगह की सच्चाई थी, जहां माता-पिता को अपने बच्चों द्वारा छोड़ दिया गया था।

आनंद निकेतन वृद्ध आश्रम: एक भयावह खुलासा

27 जून 2025 को उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग, नोएडा पुलिस, समाज कल्याण विभाग और जिला प्रोबेशन विभाग की संयुक्त टीम ने आनंद निकेतन वृद्ध आश्रम पर छापेमारी की। यह कार्रवाई एक वायरल वीडियो के बाद शुरू हुई, जिसमें एक बुजुर्ग महिला को रस्सी से बंधा हुआ और कमरे में बंद दिखाया गया था। छापेमारी के दौरान जो दृश्य सामने आए, वे रोंगटे खड़े करने वाले थे।

कैसे सामने आया मामला ?

यह भयावह स्थिति तब उजागर हुई, जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में एक बुजुर्ग महिला को रस्सी से बंधा हुआ दिखाया गया था। यह वीडियो लखनऊ के समाज कल्याण विभाग तक पहुंचा, जिसके बाद राज्य महिला आयोग की सदस्य मीनाक्षी भराला ने तुरंत कार्रवाई की। उनकी अगुवाई में एक गोपनीय छापेमारी की गई, जिसमें आश्रम की अमानवीय स्थितियों का खुलासा हुआ।

मीनाक्षी भराला ने बताया कि कई बुजुर्गों ने शिकायत की कि विरोध करने पर उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था और उन्हें डराया-धमकाया जाता था। कुछ बुजुर्गों ने यह भी कहा कि उनके परिजनों को सब कुछ “ठीक” होने का भरोसा दिया गया था, जबकि हकीकत में उनकी जिंदगी नर्क से भी बदतर थी।

समाज पर सवाल उठाती यह घटना

यह मामला केवल एक वृद्धाश्रम की लापरवाही तक सीमित नहीं है। यह हमारे समाज की उस कड़वी सच्चाई को उजागर करता है, जहां अपने माता-पिता को बोझ समझकर उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ दिया जाता है। खास बात यह है कि इस आश्रम में कई रईस परिवारों के माता-पिता थे, जिनके बच्चे मोटी रकम देकर अपने बुजुर्गों को “सुरक्षित” रखने का दावा करते थे। लेकिन क्या पैसा देकर जिम्मेदारी पूरी हो जाती है?

प्रशासन की कार्यवाही

छापेमारी के बाद तत्काल प्रभाव से आनंद निकेतन वृद्ध आश्रम को सील करने का आदेश दिया गया। 39-42 बुजुर्गों को रेस्क्यू कर दनकौर और अन्य सरकारी वृद्धाश्रमों में स्थानांतरित किया गया। तीन बुजुर्गों को तुरंत चिकित्सा के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। समाज कल्याण विभाग ने आश्रम के ट्रस्टी को नोटिस जारी कर पांच दिनों में जवाब मांगा है। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले की गहन जांच के आदेश दिए हैं।

आश्रम प्रबंधन की सफाई

आश्रम प्रबंधन ने अपनी सफाई में कहा कि कुछ बुजुर्गों के हाथ इसलिए बांधे गए थे ताकि वे खुद को या दूसरों को नुकसान न पहुंचाएं। हालांकि, जांच में यह दावा खोखला साबित हुआ, क्योंकि कोई भी प्रशिक्षित स्टाफ या चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं थी।

आनंद निकेतन वृद्ध आश्रम की यह घटना न केवल एक संस्थान की विफलता को दर्शाती है, बल्कि हमारे समाज की संवेदनहीनता को भी उजागर करती है। जिन माता-पिता ने अपने बच्चों को पालने में जिंदगी खपा दी, उन्हें ऐसी यातनाएं सहनी पड़ रही हैं। यह समय है कि हम सब अपने बुजुर्गों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें और ऐसी अमानवीयता को रोकने के लिए एकजुट हों।

क्या हम अपने बुजुर्गों को वह सम्मान और प्यार दे पा रहे हैं, जिसके वे हकदार हैं? यह सवाल हर किसी को खुद से पूछना चाहिए।

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