
इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) लखनऊ के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र पवन कुमार ने अपने इनोवेटिव आईडिया से MSME Idea Hackathon 4.0 में जगह बनाई है | भारत सरकार के MSME मंत्रालय द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में चयनित इनोवेटिव आइडियाज को ₹15 लाख की धनराशि प्रोटोटाइप निर्माण और उसको बाज़ार में उतारने के लिए दी जाती है।
आपको बता दे कि इस वर्ष देश से कुल 488 इनोवेटिव आइडियाज का चयन हुआ है, जिसमे उत्तर प्रदेश से कुल 21आइडियाज का चयन हुआ है |
कैसे जन्म हुआ क्यूब संचार ?
इनोवेटर पवन कुमार ने बताया कि इस विचार की शुरुआत एक इंटर्नशिप से हुई थी — बात 2024 की है जब मेरा चयन इंटर्नशिप के लिए सूरत की एक कंपनी में हुआ था | उस कंपनी में मैंने एक माह की इंटर्नशिप की थी। उस दौरान हमने सैटेलाइट डिज़ाइन और फैब्रिकेशन की बुनियादी जानकारी प्राप्त की और अंतरिक्ष की तकनीकी चुनौतियों को नज़दीक से समझा।
पवन ने बताया कि एक दिन इंटर्नशिप के दौरान उन्हें चंद्रयान-2 मिशन याद आई — जब अंतिम समय में लैंडर का संपर्क टूट गया था। उस घटना ने उनके मन में एक विचार को जन्म दिया:
क्या कोई ऐसा सैटेलाइट नेटवर्क बन सकता है, जो सिग्नल कमजोर होने पर उसे मज़बूती प्रदान करे और मिशन को विफल होने से बचा सके?
इसी सोच से जन्म हुआ — “क्यूब संचार”
“क्यूब संचार”: भारत का अगला स्पेस कम्युनिकेशन समाधान
पवन ने अंतरिक्ष के पर्यावरण के अनुकूल कई उपग्रह डिज़ाइन किए हैं, जो दो सैटेलाइट्स के बीच संपर्क बनाए रखते हैं, विशेषकर तब, जब वे एक-दूसरे की सीधी पहुँच में न हों। ये उपग्रह धरती और चाँद की कक्षा में रहकर सिग्नल को मज़बूती देंगे, जिससे चाँद के उस हिस्से से भी संपर्क बना रह सके जो हमेशा पृथ्वी से छिपा रहता है।
कैसे एक आईडिया हकीकत का रूप लिया ?
इस विचार को संस्थान के इन्क्यूबेशन सेंटर मैनेजर श्री संदीप कुमार ने पहचाना और आईडिया पर काम करने के लिए प्रेरित किया | श्री संदीप ने बताया कि मै व्यक्तिगत रूप से इस आईडिया को प्रोटोटाइप में बदलने के लिए बहुत प्रयासरत था जिससे कि अपने देश को अंतरिक्ष के क्षेत्र में और सफलता मिल सके |
श्री संदीप ने इस नवाचारी विचार को MSME Idea Hackathon 4.0 में आवेदन के लिए प्रेरित किया। यह आवेदन GL Bajaj Institute, ग्रेटर नोएडा के माध्यम से किया गया था, जहाँ से इसे चयनित कर ₹15 लाख का अनुदान स्वीकृत हुआ है |
अब इस अनुदान की सहायता से क्यूब संचार के प्रोटोटाइप का निर्माण हो सकेगा | श्री संदीप ने इसके साथ बताया कि संस्थान से कुल 06 आईडिया सबमिट किये गए थे, जिसमे से क्यूब संचार का चयन हुआ है |
उन्होंने बताया कि पवन का सपना है कि यह तकनीक न केवल अंतरिक्ष मिशनों को मजबूती दे, बल्कि कम लागत में टेलीकॉम कंपनियों और शोध संस्थानों के लिए भी उपयोगी सिद्ध हो।
“यह न केवल एक छात्र की सफलता की कहानी है, बल्कि उन सभी सपनों का प्रमाण है जो लगन, मार्गदर्शन और सही मंच मिलने पर साकार हो सकते हैं “