
भारत में स्टार्टअप शब्द को तब पहचान मिली, जब भारत सरकार ने 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया पहल की शुरुवात की, जिसका प्रमुख उद्देश्य देश में नवाचार को बढ़ावा देना तथा आर्थिक विकास को गति देकर रोजगार के अवसर पैदा करना था |
आजकल “स्टार्टअप” शब्द से सभी लोग परिचित हो चुके हैं | आज के युवा, छात्र, प्रोफेशनल—हर कोई अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं। कुछ लोग किसी बिज़नेस को शुरू करने को स्टार्टअप बोलते हैं | लेकिन क्या नया बिज़नेस स्टार्टअप होता है? और अगर कोई बिज़नेस शुरू कर रहा है, तो क्या वह स्टार्टअप कहलाएगा ? आइए, इसे सरल भाषा में समझते हैं।
स्टार्टअप की सही परिभाषा क्या है?
स्टार्टअप का मतलब केवल नया बिज़नेस शुरू करना नहीं है। असल में, एक स्टार्टअप वह होता है जिसमे नए विचार (Innovative Idea) के साथ साथ बिज़नेस मॉडल और स्केलेबिलिटी मॉडल भी हो।
नया विचार का मतलब यह नहीं कि पूरी दुनिया में पहली बार हो रहा हो। हो सकता है मार्केट में पहले से कुछ लोग उस पर काम कर रहे हों, लेकिन उस क्षेत्र में कोई बड़ा प्लेयर स्थापित ना हो, और अगर आपके पास स्टार्टअप आईडिया है जिसमे टेक्नोलॉजी का प्रयोग और बिज़नेस मॉडल हो तो, स्टार्टअप की श्रेणी में आएगा |
स्टार्टअप की 3 अनिवार्य विशेषताएं:
- नवाचार (Innovation):
आपका आइडिया या तरीका कुछ अलग और बेहतर होना चाहिए—चाहे वो प्रोडक्ट हो, या सर्विस। - बिज़नेस मॉडल:
स्टार्टअप आईडिया से पैसा कैसे आएगा, इसे पहले ही स्पष्ट रूप से परिभाषित करना जरूरी होता है। - स्केलेबिलिटी + टेक्नोलॉजी इंटरवेंशन:
स्टार्टअप को बढ़ाया जा सके—राज्य से देश तक, और देश से दुनिया तक। यह तभी संभव है जब उसमें तकनीक की भूमिका हो, इसलिए बिना टेक्नोलॉजी हस्तक्षेप के स्टार्टअप असंभव जैसा होता है |
उदाहरण: अगर आप एक टिफिन सर्विस शुरू करते हैं, वो एक बिज़नेस है। लेकिन अगर आप उसी सर्विस को एक मोबाइल ऐप और ट्रैकिंग सिस्टम के ज़रिए सैकड़ों शहरों तक पहुंचाने की योजना बनाते हैं, तो वह स्टार्टअप कहलाएगा।

तो क्या हर बिज़नेस स्टार्टअप होता है?
नहीं, लेकिन एक बिज़नेस स्टार्टअप हो सकता है
अगर कोई बिज़नेस में टेक्नोलॉजी का प्रयोग है और स्केलेबिलिटी मॉडल भी तो, उसे स्टार्टअप कहा जा सकता है |
स्टार्टअप शुरू करने के लिए क्या करना होता है?
स्टार्टअप शुरू करने की शुरुआत एक इनोवेटिव आइडिया से होती है। फिर आता है उस आइडिया को बिज़नेस मॉडल में बदलने का चरण।
स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया:
- आइडिया को वैलिडेट करें – क्या लोग आपकी सर्विस या प्रोडक्ट को पैसा देकर खरीदना चाहते हैं? अपने आइडिया को वैलिडेट करने के लिए टारगेट कस्टमर से सर्वे करना चाहिए |
- बिज़नेस मॉडल बनाएं – कैसे कमाई होगी? लागत क्या होगी?
- MVP (Minimum Viable Product) तैयार करें – एक बेसिक वर्जन बनाएं जिससे लोग इस्तेमाल कर सकें।
- फीडबैक लें और सुधार करें
- टीम बनाएं – जरूरी स्किल वाले लोगों को साथ जोड़ें
- मार्केटिंग की रणनीति बनाएं
- ग्रांट और फंडिंग को एक्स्प्लोर करें

क्या स्टार्टअप के लिए लीगल एंटिटी बनाना जरूरी है?
हाँ, जरूरी है, लेकिन शुरुआत में नहीं।
जब आप अपने आइडिया को वैलिडेट कर चुके हो तब कंपनी रजिस्टर करा सकते हैं |
क्या स्टार्टअप को सरकार से सहयोग प्राप्त होता है ?
हाँ, बिल्कुल
स्टार्टअप को सपोर्ट करने के लिए राज्य सरकार तथा भारत सरकार द्वारा इन्क्यूबेशन सेण्टर स्थापित किये गए हैं जहाँ स्टार्टअप को उसके आईडिया को रिफाइन करने से लेकर ग्रांट/फंडिंग तक निशुल्क सहयोग प्रदान किया जाता है | अधिक जानकारी के लिए आप स्टार्टअप इंडिया की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं |
आज भारत में स्टार्टअप शुरू करने का सबसे अच्छा समय है, क्योंकि स्टार्टअप को मेंटरिंग से लेकर ऑफिस स्पेस, और ग्रांट से लेकर फंडिंग तक का अवसर सरकार निशुल्क मुहैया करवा रही है |
स्टार्टअप शुरू करना एक साहसिक और सुनियोजित कदम है। यह सिर्फ बिज़नेस शुरू करना नहीं, बल्कि एक समस्या का हल ढूंढना है—नई सोच, तकनीक और विस्तार के साथ।
अगर आप भी किसी नए विचार पर काम कर रहे हैं, तो उसे एक प्रॉपर स्टार्टअप में बदलने के लिए सही दिशा और जानकारी जरूरी है। सोचिए, प्लान कीजिए और आगे बढ़िए!
स्टार्टअप संबंधी किसी भी सहायता के लिए नीचे दिए हुए माध्यमों से संपर्क कर सकते हैं:
ईमेलः contact@theeduexpress.com