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कर्म ही पूजा है: अच्छे कर्म ही जीवन का असली आधार हैं

हमारे जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। कभी सफलता मिलती है, तो कभी निराशा। लेकिन एक चीज़ जो हमेशा हमारे साथ रहती है वो है — हमारे कर्म

शास्त्रों में कहा गया है:

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”
(तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल में नहीं।)

यही कारण है कि कर्म को ही पूजा कहा गया है। इसका अर्थ यह नहीं कि पूजा-पाठ गलत है, बल्कि यह कि ईमानदारी और निष्ठा से किया गया प्रत्येक कार्य ही ईश्वर की सच्ची सेवा है।

क्यों अच्छे कर्म करना ज़रूरी है?

कभी भी किसी से जलन न करें

ईर्ष्या या जलन एक ऐसा मानसिक ज़हर है, जो खुद को ही अंदर से खोखला कर देता है। इससे हमेशा मन में नकारात्मक भाव आता है जिससे मन में अशांति रहती है |

दूसरों की तरक्की देखकर दुखी न हों, बल्कि खुद को प्रेरित करें।”

हर व्यक्ति की यात्रा अलग होती है। हो सकता है किसी को सफलता जल्दी मिले और किसी को देर से, लेकिन अंत में आपके कर्म ही आपको आपकी मंज़िल तक पहुँचाते हैं।

गलत भावना क्यों नहीं रखनी चाहिए?

जब हम दूसरों के लिए बुरा सोचते हैं, तो सबसे पहले हम अपने मन का चैन खो देते हैं।
मन में द्वेष रखने से आपके कर्मों में भी नकारात्मकता बैठ जाती है। इसलिए:

कर्म का फल कब और कैसे मिलता है?

ये सवाल कई बार मन में आता है — “मैं तो अच्छे कर्म करता हूँ, फिर भी जीवन में संघर्ष क्यों है?”
ध्यान रखिए:

अच्छे कर्मों का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता।”
यह फल आपको सही समय पर, सही रूप में मिलता है — कभी सुख, कभी शांति, तो कभी आशीर्वाद बनकर।

हर कार्य को पूजा समझकर करें

जो कार्य आप कर रहे हैं, उसे श्रद्धा और ईमानदारी से करें — यही सच्ची पूजा है।”

जीवन का सार — सकारात्मक सोच और अच्छे कर्म

हर व्यक्ति के जीवन में परेशानियाँ आती हैं। लेकिन जो व्यक्ति अपने कर्मों पर विश्वास करता है, जो कभी ईर्ष्या नहीं करता, और जो हमेशा अच्छे विचार रखता है — वही व्यक्ति असली सुख पाता है।

कर्म ही पूजा है” — यह केवल एक कहावत नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक मार्गदर्शन है।
इसलिए:

क्योंकि अंत में, सिर्फ आपके कर्म ही आपके साथ जाते हैं।

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